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01/मार्च /2015 का दिन जम्मू-कश्मीर के लिए ऐतहासिक रहा | ऐतहासिक हो भी
क्यों नही ? क्योकि जम्मू – कश्मीर की अवाम को आखिरकार एक गठबंधन की
सरकार मिली| यह महत्वपूर्ण इसलियें और भी हो जाता हैं क्योकि दोनों ही पार्टियों का
कहना हैं कि यह सरकार जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं| जिसकी
जम्मू-कश्मीर की अवाम को जरुरत थी | लगभग 2 महीनों तक चली खींचतान के
बाद तश्वीर साफ हुई और पीडीपी-बीजेपी गठबंधन के रूप में एक नई सरकार का
जन्म हुआ | इस गठबंधन को लेकर सवाल तो कई उठते हैं क्योकि लोगों का कहना
हैं की यह दो अलग-अलग विचारधाराओं की पार्टी हैं | लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह
रह जाता हैं कि इस गठबंधन का जन्म तो हो गया हैं लेकिन यह कितनी उम्र पूरी
कर पता हैं ? मतलब की गठबंधन की सरकार 6 साल का कार्यकाल पूरा कर पायेगी
? क्योकि जिस तरह जम्मू-कश्मीर के नये मुख्यमंत्री ने शपथ के चंद घंटो के अन्दर
ही जिस तरह का बयान दिया हैं उससे इस सवाल का उत्तर जानना जरुरी हो जाता
हैं | जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा हैं कि आतंकवादियों ने और पाकिस्तान ने इस
चुनाव में मदद की थी | इस बयान के बाद जम्मू-कश्मीर की जनता अपने आप को
ठगा हुआ महसूस कर रही होगी |
जब चुनाव आयोग ने जम्मू – कश्मीर में चुनाव का ऐलान किया था | तब शायद ही
किसी ने सोचा होगा कि जम्मू-कश्मीर की अवाम इस बार के चुनाव में इतने उत्साह
के साथ इस लोकतंत्र के उत्सव में रिकॉड मतदान करेगी | इस रिकॉर्ड तोड़ मतदान
का पूरा श्रेय जम्मू-कश्मीर की जनता , इस देश की सेना और चुनाव आयोग को जाता
हैं |क्योकि जिस तरीके से वहां की जनता ने आतंकियों की धमकियों को
दरकिनार करते हुए गोली का जबाब मतदान से दिया | जोकि देश के दुश्मनों के लिए
एक करारा जबाब से कम नही था | जबाब बहुत ही स्पष्ट था कि जम्मू-कश्मीर भी
देश की मुख्य धरा के साथ जुड़ना चाहता हैं |
लेकिन शायद जम्मू – कश्मीर के नसीब में कुछ और ही लिखा था |जिसके कारण वहां
किसी भी पार्टी को बहुमत का अकड़ा छूने का अवसर नही मिला | जिसकी कसक कही
न कहीं जम्मू- कश्मीर की अवाम को हो रही होंगी | इस कसक को समझा देश के
प्रधानमंत्री और बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर को एक विकासशील सरकार देने की हरसंभव
कोशिश की, बेशक वह गठबंधन की ही सरकार क्यों न हो | जम्मू-कश्मीर में सरकार
बनाना और भी महत्वपूर्ण इसलिये हो जाता हैं क्योकि जम्मू-कश्मीर एक संवेदनशील
राज्य में से एक हैं | इसलिये इस राज्य को जल्द से जल्द एक सरकार की जरुरत थी
| इसी विचार को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने एक कॉमन मिनिमम
प्रोग्राम बनाया और विवादित मुद्दों को दूर रखा | क्योकि इससे ज्यादा जरुरी वहाँ एक
सरकार की आवश्यकता थी | लेकिन यही बात पीडीपी के मुख्यमंत्री व् उनकी पार्टी को
सोचनी होगी की वह इस तरह के विवादित बयान न दे| जिससे राज्य की जनता
अपने आप को ठगा हुआ महसूस करे | अगर जम्मू-कश्मीर की अवाम अपने आप
को ठगा हुआ महसूस करती हैं तो फिर इस सरकार का कोई मतलब नही रह जाता हैं
| भारतीय जनता पार्टी ने अपने एजेंडे से समझौता करते हुए जम्मू-कश्मीर में सरकार
बनाई हैं | क्योकि वह जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए वह प्रतिबद्ध हैं | यही बात
पीडीपी को भी समझनी चाहिए | दोनों ही दलों को खासकर पीडीपी को यह दिखाना
होगा की वह बीजेपी के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में एक विकासशील सरकार देने के
लिए प्रतिबद्ध हैं | अगर वह इसी तरह की विवादित बयान देते रहे तो फिर शायद
बीजेपी के लिए जम्मू-कश्मीर की सरकार में बने रहना कठिन होगा | अगर यह होता
हैं तो यह जम्मू-कश्मीर की अवाम के लिए ठीक नही होगा और फिर इस सब की
जिम्मेदार पीडीपी की होगी | फिर जम्मू-कश्मीर की जनता माफ़ नही करेगी | क्योकि
जनता सब जानती हैं !
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